नई दिल्ली, 16 जून: समाज में जब हम प्रेरणा की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे सामने ऐसे व्यक्तित्व आते हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में हार मानने के बजाय संघर्ष को अपना साथी बना लिया। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी कस्बे से आने वाले नीरज कुमार प्रजापतकी कहानी भी कुछ ऐसी ही है — जहां गरीबी, कठिनाइयाँ और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ थीं, वहीं दूसरी ओर एक युवा का अटूट हौसला, कड़ी मेहनत और समाज के लिए कुछ करने का जज़्बा था।
साधारण शुरुआत, असाधारण सोच : नीरज का जन्म 3 फरवरी 1992 को हुआ। मात्र दो वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय भंवरलाल को खो दिया। इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां रतनी बाई पर आ गई, जिन्होंने जंगल में बसे खेतों को अपने श्रम से सींचा और परिवार का भरण-पोषण किया।
आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि नीरज की शिक्षा आठवीं कक्षा तक ही सीमित रह गई। सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले नीरज को कई बार सामाजिक तानों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन इन सबके बावजूद, उन्होंने और उनके बड़े भाई अशोक ने कभी हार नहीं मानी।
मेहनत का पहला मुकाम – सदाशिव कैटरिंग : जीवन को एक नई दिशा देने के लिए नीरज और अशोक ने सदाशिव कैटरिंगकी शुरुआत की। सीमित संसाधनों के साथ शुरू किया गया यह व्यवसाय आज सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। नीरज मानते हैं कि यही सफलता उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ लेकर आई, जिसने उन्हें समाज की सच्चाइयों से रूबरू कराया।
कैटरिंग के माध्यम से नीरज ने देखा कि किस प्रकार गरीबी सिर्फ जेब को ही नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और मानसिक शांति को भी छीन लेती है। यही एहसास उनके भीतर समाज सेवा की चिंगारी बनकर जगा।
सदाशिव मेडिटेशन रिसर्च फाउंडेशन – समाज के लिए समर्पित एक संस्था : समाज में बदलाव की शुरुआत खुद से होती है – इसी विश्वास के साथ नीरज ने सदाशिव मेडिटेशन रिसर्च फाउंडेशनकी स्थापना की। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है जो ग्रामीण विकास, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और युवा रोजगार जैसे क्षेत्रों में काम कर रही है।
फाउंडेशन के तहत ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण, स्व-रोजगार के अवसर और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मार्गदर्शन दिया जा रहा है। नीरज अपने व्यवसाय की आय का बड़ा हिस्सा अब सामाजिक कल्याण में खर्च करते हैं, जिससे सैकड़ों परिवारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा है।
डिजिटल युग के युवाओं के लिए विशेष पहल : नीरज विशेष रूप से आज के युवाओं को ध्यान में रखते हैं, जो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं। वे कहते हैं, “आज का युवा प्रतिभाशाली है, लेकिन उसे सही दिशा नहीं मिलती। मैं उन्हें प्रशिक्षण देकर उनकी क्षमता के अनुसार अवसर दूंगा।”
इसी लक्ष्य के तहत, नीरज ने जून 2025 में “यूनाइटेड फॉर ग्रोथ” नामक एक पहल की शुरुआत देहरादून में की। इस कार्यक्रम के तहत युवा प्रतिभाओं को डिजिटल मार्केटिंग, इवेंट मैनेजमेंट, रूरल एंटरप्रेन्योरशिप और नेतृत्व विकास जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नीरज का विज़न – आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत : नीरज का सपना है एक ऐसा भारत, जहां गांवों में रहने वाला हर युवा आत्मनिर्भर बने, शिक्षा और रोजगार के अवसर पाए और अपने जीवन को स्वयं संवार सके। वे मानते हैं कि विकास सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि गांव के अंतिम व्यक्ति तक उसका लाभ पहुंचना चाहिए।
समापन : नीरज कुमार प्रजापत की कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं की आशा है जो कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों और उद्देश्य समाज सेवा का हो, तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती।
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